गजल - रीता गुलाटी

 

लगी है आग दिल मे,गर शराफत आपकी होगी,

कही टूटा किसी का दिल शराफत आपकी होगी।

कहूँ बातें मैं अब दिल की,नही समझे जुबां मेरी,

मरेगे हम बिना तेरे, खिलाफत आपकी  होगी।

कभी छूटा तुम्हारा संग जी हम भी न पायेगे,

बनें ऐसे सितमगर तुम, बगावत आपकी होगी।

नही हैं आपके काबिल, भले तुम जानते सब कुछ,

मगर कैसे जिये अब हम, हिकारत आपकी होगी।

जमाना है बड़ा कातिल, नही समझे मसाफत को,

लगी है आग अब दिल मे,नदामत आपकी होगी।

- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़