ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Mar 11, 2024, 23:20 IST
मेरी वफा को भुला रहा था,
गमो में मुझको डुबा रहा था।
घिरी हूँ गम के अजाब में अब,
न जानें क्यो वो जला रहा था।
न खार खाना तू आज मुझसे,
लगे तू मुझको रूला रहा था।
गमों मे डूबी ये चाँदनी है,
बिना वजह क्यों सता रहा था।
हुऐ अकेले बिना तुम्हारे,
लगे वो नजरे चुरा रहा था।
हुआ है गायब वो जिंदगी से,
वो खत के पुरजे उड़ा रहा था।
मिलें न तुमको कभी अकेले,
तभी तो वो फड़फड़ा रहा था।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़