गजल - रीता गुलाटी
Feb 24, 2024, 23:48 IST
अरे कैसे जिये हम भी तेरे जलते सवालों से,
करे तन्हा,हमें ये बाज आये इन चालों से।
सताते हो हमें तुम भी दिया है दर्द भी गहरा,
भला कैसे करे तौबा,तेरे दिलकश ख्यालों से।
छुपे हैं अब्र अब नभ मे,गमों के इस घनेरे मे,
डसे तन्हाई अब दिल के लगे जो आज छालों से।
सुकूँ की खोज मे निकले,नही मंजिल कभी पायी,
बचे कैसे अजी अब हम दिये झूठे रिसालों से।
खुदा चाहे मिले हम तुम,करेगे प्यार मिलकर हम,
चलो दीपक जला ले हम करे रोशन उजालो से।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़