ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Feb 5, 2024, 22:50 IST
मिलकर रहो खुशी तो है,
हँसना ही जिंदगी तो है।
तू भूल जा ये मुफलिसी,
आँखो मे क्यो नमी तो है।
दीपक जरा तू आ जला,
थोड़ी सी रोशनी तो हो।
रोना नही कभी फकत,
दोस्ती भी अब बड़ी तो हो।
आओ चले खुदा के घर,
कर बंदगी खरी तो हो।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़