ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Jan 28, 2024, 23:33 IST
शहीदों की शहादत को सदा आबाद रक्खेगे,
वतन को गर जरूरत हो हमेशा आब रक्खेगे।
किया है देश पर अर्पण सभी अपना ये तन मन भी।
लहू से सींच कर हम, वतन शादाब रक्खेगे।
हुऐ क्यो दूर अब हमसे किया तुमने बहाना था,
भला कैसे जिये तुम बिन नजर में आसाब रक्खेगे।
करे सजदा लहू से हम, सदा सम्मान करेगे हम,
लहू से सींच कर हम वतन शादाब रक्खेगे।
बताता प्यार की बातें, नही समझा*ऋतु उल्फत को,
इशारों से दिलो का दाब अब हर हाल रक्खेगे।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़