ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Jan 8, 2024, 23:31 IST
आज चर्चे यार मेरी सादगी के हैं,
खिल रहा जो रूप मेरी चाँदनी के है।
दूर कैसे यार तुमसे अब मैं रह पाता,
आँख मे आँसू दिखे अब नाजनी के हैं।
बज रही थी मन मे मेरे प्रेम की घंटी,
साथ साजन के ये खुशियाँ भी हँसी के है।
खूब देखा प्यार तेरी आज आँखो मे,
सोचना खुशहाल पल जिंदगी के हैं।
आज बचपन याद आता हाय हमको जी,
मस्त से हम घूमते थे उस गली के हैं।
बन सकी ना आज तेरी यार जीवन मे,
आज बहते आँसू भी कुछ बेबसी के है।
दर्द इतना सह सको ना,आज बतलाऐ,
मेरे गीतों मे बयां उस झोपड़ी के हैं।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़