ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Oct 12, 2023, 23:06 IST
यार ने भेजा हमें पैगाम है,
फिर कहाँ हमको मिले आराम है।
सोचता वो अब भला आवाम का,
लोग रखतें मन में बड़ा *असकाम है।
प्रभु करो *इकराम हम पर आज तो,
आ चुके दर पे तुम्हारे.. राम हैं।
हो चुके बदनाम देखो आज तो,
दर तुम्हारे अब मिले विश्राम है।
कर दिया बरबाद मुफलिसी ने बड़ा,
खामख़ा ही इश्क तो बदनाम है।
जी रहे बेआबरू से हम बड़े,
आशिकी मे अब हुआ ये आम है।
दर्द इतना आज *ऋतु को है मिला,
हो गये जग मे अजी गुमनाम है।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़