गजल - रीता गुलाटी

 

याद में बसे हो तुम, दूर अब न जाओगे,

धड़कनो में बसते हो, याद हमको आओगे।

जिंदगी की तू धड़कन,जिंदगी का हिस्सा है,

हाय अब कहाँ ढूँढूँ ,,यार तुम सताओगे।

साथ अब रहूँगी मैं,साथ भी चलेगे हम

संग अब तो जीना है छोड़ अब न पाओगे।

प्यार मे सभी आशिक गम को खुद ही पीते हैं,

भूल भी नही पाते, यार को सताओगें।

आ करे अजी सजदा,हम खुदा के दर आकर,

उस जगह खुदा होगा, सिर जहाँ झुकाओगे।

प्यार ही इबादत है,प्यार की करो पूजा।

दूर तुम जो रहते हो,प्यार क्या निभाओगे।

- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़