गजल - रीता गुलाटी
Jul 11, 2023, 23:29 IST
देखा हमने आज नजारा लोगों का,
कायाकल्प हुआ है अब तो रिश्तों का।
भूखे मरते लोग पड़े हैं सड़को पर,
राह तके ये भोजन जलते चूल्हो का।
दर्द मुहोब्बत सभी बयां कर जाता है,
थोड़ा थोड़ा पानी उसकी आँखो का।
घर टूटे गर दिल का रिश्ता कच्चा हो,
दोष कहाँ तूफाँ मे गिरती शाखों का।
कतरा कतरा मेरा दिल ये रोता है,
ख्याल नही करते मेरे जज्बातों का।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़