गजल - मधु शुक्ला

 

दिख जाता यदि दिल दरपन में,

मैल न रहने पाता मन में।

आसानी से कर लेते सब,

भेद यहाँ दुर्जन सज्जन में।

बड़े चैन से उम्र गुजरती,

सब्र अगर रहता धड़कन में।

तेरा मेरा मर जाता तो,

ठंडक रहती हर आँगन में।

अपनेपन का घट जब रीता,

सुख खोजा मानव तब धन में।

नहीं सताती चिंता पीड़ा,

मन जब डूबा रहता फन में।

जीव भुलाया जब मद माया,

रास रचाया 'मधु' मधुवन में।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश