गजल - मधु शुक्ला

 

सुसज्जित प्रेम से कर लें सखा हम बस्तियाँ अपनी,

करेंगीं नाम रोशन प्रेम से ही पीढ़ियाँ अपनी।

सदा सहयोग अपनापन रखे संबंध को हर्षित।

रहीं हैं तोडतीं परिवार को मनमर्जियाँ अपनी।

बुजुर्गों को मिले सम्मान छोटों को जहाँ ममता,

दिखातीं हैं वहीं सद्भावनाएं झलकियाँ अपनी।

दिया संदेश धर्मों ने सदा उपकार करुणा का,

तभी तो पा सके हैं दीन मेहरबानियाँ अपनी।

न घोलें भूलकर भी हम मधुर संबंध में बिष 'मधु',

नहीं तो लील लेंगीं एक दिन तन्हाईयाँ अपनी।

— मधु शुक्ला .सतना, मध्यप्रदेश