गजल - मधु शुक्ला
Jun 27, 2023, 23:17 IST
जो जिया हँस सहेली रही जिंदगी,
पुष्प चम्पा चमेली रही जिंदगी ।
मित्रता यदि रही कर्म, कर्तव्य से,
इक वफादार चेली रही जिंदगी ।
धूप, कांटे, कुसुम, छाँव सबकी सखा,
नुनखरी मिष्ठ भेली रही जिंदगी।
मोह, माया जड़ित क्रोध, छल से ग्रसित,
गर्म तपती तपेली रही जिंदगी।
'मधु' समाये अचानक धरा कोख में,
रेणु की एक ढ़ेली रही जिंदगी ।
-- मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश .