ग़ज़ल (हिंदी) - जसवीर सिंह हलधर

 

पराये और अपने एक दिन सारे भुला देंगे ।

उठा कर चार कंधों पे चिता अपनी जला देंगे ।

जमा दौलत यहीं पर हार कर भागे सभी अब तक ,

लिखे कुछ गीत ,गज़लें जीत का मुझको शिला देंगे ।

किसी को राख होना है किसी को खाक में मिलना,

कहे दो बोल मीठे प्रेम का गुलशन खिला देंगे ।

सहेली या पहेली है बता यह जिंदगी क्या है ,

इरादे मौत के पक्के किला इसका हिला देंगे ।

परेशानी किसी के सामने मत भूल कर कहना ,

मदद के नाम पर साथी जहर मीठा पिला देंगे ।

जमीं जन्नत सरीखी है इसे जो कर रहे गंदा ,

बहाबी सोच के सपने उन्हें मिट्टी मिला देंगे ।

चुनावी वायदों में झोंपड़ी को तोड़ मत"हलधर" ,

लुटेरे राजनैतिक दल नया क्या घर दिला देंगे ।

- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून