ग़ज़ल (हिंदी) - जसवीर सिंह हलधर
Jun 16, 2024, 20:18 IST
मोम माँ का है ज़िगर तो बाप भी चट्टान है ।
माँ हवा की लोरियां तो बाप ही तूफान है ।।
ढाल माँ संतान की तो बाप भी कृपाण है ,
पाठशाला मात है तो बाप ही इम्तहान है ।
बाप का दिल नारियल सा सख़्त ऊपर से दिखे ,
रस भरा अंतस में जिसके पापड़ी मिष्ठान है ।
माँ सिखाती है सलीका प्यार का व्यवहार का ,
हार में भी जीत खोजे बाप वो इंसान है ।
जब कभी वहसी हवायें छेड़ती औलाद को ,
बाप को उस वक्त मानो मौत का फरमान है ।
डाँटने से बाप के सजती सँवरती जिंदगी ,
मात ममता चांदनी तो बाप भी दिनमान है ।
जब निराशा बालकों की रोकने लगती डगर,
मान "हलधर" बाप को ही आश का प्रतिमान है ।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून