गीतिका - मघु शुक्ला ​​​​​​​

 

लगे अधूरी भोजन थाली, अगर मिठाई नजर न आये,

बच्चे, बूढ़े, युवा सभी के, मन को यह अतिशय हर्षाये।

रबड़ी, रसगुल्ला, बर्फी की, छवि लगती है बेहद प्यारी,

रस मलाई संग काजू कतली, रसना को हर्षित कर जाये।

खुरमी, और इमरती, लड्डू , सोन पापड़ी, गुझिया, पेड़ा,

उत्सव में हर घर महकाते, हर कोई इनके गुण गाये।

ब्याह,सगाई,छठी,जन्मदिन,अतिथि आगमन के अवसर पर,

तरह - तरह के मिष्ठानों से, शोभा खुशियों की बढ़ जाये।

शुभ अवसर पर चलन मिठाई, क्यों हम सब ने अपनाया है,

मीठे  सम  मिठास  रिश्तों  में, रखो  हमें  यह  रीत सिखाये।

 – मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश .