गीतिका - मधु शुक्ला

 

भाँति - भाँति के आते आम,

सेहत के गुण गाते आम।

कच्चे हों तो बने अचार,

पना बनाकर खाते आम।

आतीं इनकीं कई प्रजाति,

पर देशी अति भाते आम।

प्रिय इनको गर्मी बरसात,

सर्दी से घबराते आम।

नहीं भूलता इनका स्वाद,

प्यार सभी का पाते आम।

मिलन सार अति रहें रसाल,

सब के घर में जाते आम।

लोकतंत्र की रखते लाज,

जननायक कहलाते आम।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश