गीतिका - मधु शुक्ला
Dec 27, 2023, 23:15 IST
सर्दी की धूप लगे प्यारी, कहे यही संसार,
सूरज बाबा का सर्वोत्तम,यह होता उपहार।
सभी ठंड से सिकुड़े रहते,जिस दिन दिखे न सूर्य,
हर्षाते हैं सभी तभी जब, धूप करे उजियार।
चहल पहल छत ऊपर रहती, जब तक चमके धूप,
सांझ ढले छुप जाते घर में, ढूँढें सब अंगार।
धूप बहुत सर्दी की भाती, लोग न छोड़ें साथ,
तन मन दोनों का कर देती, उत्तम यह उपचार।
दुखदायी गर्मी में लगती, ठंडी में हर्षाये,
धूप सहारे ही सहता जग, कुहरे की बौछार।
धूप सभी लें सर्दी में यह, बतलाते हैं वैद्य,
धूप रहे पोषक तत्वों का, सर्दी में आधार।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्य प्रदेश