गीत - जसवीर सिंह हलधर

 

क्या दोष था नुपुर का संज्ञान चाहता हूँ ।

ओ हिंदुओं तुम्हारा मतदान चाहता हूँ।।

क्यों आफ़ताब देखो चंदा से डर रहा है ।

कैसा ख़ुदा है अपनी निंदा से डर रहा है ।।

गर एक है ख़ुदा तो ये आग क्यों जली है ,

ऐसा लगा हिमालय नंदा से डर रहा है ।।

इन आंधियों के ऊपर तूफान चाहता हूँ ।

अपनी सुता की ख़ातिर अभियान चाहता हूँ ।।1

मुल्ले नमाजिये क्यों करने लगे तमाशा ।

संघी समाजियों ने क्यों रोप दी हतासा ।।

शिव जी हमारे जिनकी मस्ज़िद में कैद पाए ,

इस कृत्य से दिखा है हिन्दू ठगा ठगा सा ।।

जो आग ये बुझा दे वो बाण चाहता हूँ ।

काशी महेश का मैं सम्मान चाहता हूँ ।।2

कोई नहीं बताता क्या धर्म की दिशाएं ।

गुंडों के हाथ कैदी जगदीश की दशाएं ।।

भ्रम जाल में मुसलमां कश्ती किधर चली है ,

इंसानियत सिखाती हैं वेद की ऋचाएं ।।

सच्चे नबी का इनमें ईमान चाहता हूँ ।

सद्बुद्धि इनको दे वो वरदान चाहता हूँ ।।3

समझे नहीं जो अब तक मनुहार हिंदुओं की ।

भारी पड़ेगी उनको यलगार हिंदुओं की ।।

वो सह नहीं सकेंगे ललकार हिंदुओं की ,

ऊंची सदा रहेगी दस्तार  हिंदुओं की ।।

जय हिंद चाहता हूँ उत्थान चाहता हूँ ।

मैं विश्व में पुरानी पहचान चाहता हूँ ।।4

- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून