गीत (मनभावन सावन) - मधु शुक्ला
Jul 25, 2024, 23:08 IST
स्वप्न सजीला नैनों में जब, खुद मुस्काने लगता है।
मन पंछी के पास सुहाना, सावन आने लगता है।
रिमझिम बारिश की बौछारें, जब-जब मिलने आतीं हैं।
मनभावन सावन के नगमे, मधुर स्वरों में गातीं हैं।
मोर, पपीहा, कोयल को सुन, घन भी गाने लगता है...।
इठलाती चपला जन मन को, चंचल कर के जाती है।
अनुरागी जीवन दर्शन के, मंत्रों को समझाती है।
वसुधा का सौंदर्य सभी के, मन को भाने लगता है... ।
वर्षा ऋतु में सावन का हम, करते हैं सम्मान अधिक।
श्रावण के त्यौहार कराते, खुशियों से पहचान अधिक।
आजादी का पर्व हमारा, सावन लाने लगता है..... ।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश