गणपति वंदन - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

 

श्री गणपति जी घर आए हैं, लेकर हाथ मृदंग।

तन में अति उत्साह भरा है मन में अतुल उमंग॥

हर्षोल्लास भरा जनमानस, है स्वागत करने को आतुर।

ढोल नगाड़े संग नाचते, मिला विघ्नहर्ता के सुर में सुर॥

कृष्ण सरीखी सजी झाँकियाँ, दृश्य देख सब हुए मगन।

झूम उठे अद्भुत संगति में, स्वागत खातिर जन के मन॥

मूषक राज भले हों छोटे, पर उनका स्थान बड़ा।

श्री गणेश जी की सेवा में, हर उत्साही भक्त खड़ा।।

लम्बोदर संग लय में मिलकर, गजवाहन भी नृत्य करें।

शीश नवाएं हम वक्रतुंड को, गणपति सबके विघ्न हरें॥

- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश