मेरी कलम से - डॉ. निशा सिंह
Sep 8, 2024, 22:48 IST
दुखड़ा किसी के सामने रोया न कीजिए।
दामन यूँ आंसुओं से भिगोया न कीजिए।।
ख़ामोशियों में ही छिपा है ज़िन्दगी का हल।
आपा यूँ बात बात पे खोया न कीजिए।।
वो हमें देख के चेहरे को छुपा लेते हैं।
बेमुरव्वत से वफ़ा हम भी निभा लेते हैं।
जब से देखा है 'नवल' टूटते इन रिश्तों को,
बे खता होके भी हम सर को झुका लेते हैं।
ज़ुल्म होते देख कर जो है तमाशाई बना ।
आदमिय्यत खो दी उसने आदमी होते हुए।।
- डॉ. निशा सिंह 'नवल', लखनऊ, उत्तर प्रदेश