हर क्षण पाया ~ कविता बिष्ट
Nov 25, 2023, 23:25 IST
मैंने कविता को हर क्षण पाया,
कविता रहती है बनकर साया,
मन की बात लिखना सीखाया,
जीवन दर्पण हर वक्त दिखाया।
हर रूप रंग में है सजाया,
महफ़िल में तुझे है गाया,
दुख में तूने साथ निभाया,
सुख में मुझे गले से लगाया।
एकाकी मन को है लुभाया,
प्रेम संग मैने तुझे है पाया,
अंतरात्मा के छंद से नवाया,
मैने हर रूप में है तुझे ध्याया।
शहीदों की कविता पर रुलाया,
वीरों को गर्व से ताज पहनाया,
किसानों का ढ़ाढस है बढ़ाया,
सपनों को सकारात्मक दिखाया ।
मैंने कविता को हर क्षण है पाया।।
~ कविता बिष्ट , देहरादून , उत्तराखंड