पर्वों का पखवाड़ा - मधु शुक्ला

 

संगम प्रिय  सावन  भादों  का।

स्वाद  चखाता  है  यादों  का।।

पर्वों    का   पखवाड़ा   लाये।

इसीलिए  यह  संगम  भाये।।

रक्षाबंधन    सबको    प्यारा।

भ्रात  बहन  को लगे दुलारा।।

साथ कजलियाँ लेकर आता।

मेल मिलाप सभी को भाता।

हल  छठ  और  चतुर्थी आगे।

कृष्ण जन्म का उत्सव जागे।।

ताल  मिलाता  तीजा  आया।

गणपति उत्सव को ले आया।।

ढ़ोलक   झांझ    मजीरा   बाजे।

घर - घर गणपति कृष्ण विराजे।।

ग्यारस   चतुर्दशी   जब   बीती।

पकवानों   की   डलिया   रीती।।

 — मधु शुक्ला,सतना , मध्यप्रदेश