दुर्गा स्तुति -  कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

 

द्वितीय दिवस: माँ ब्रह्मचारिणी -

जय दुर्गे अतुलित बलशाली, निर्बल को बल देने वाली।

तेरे द्वारे जो भी आए, झोली भर कर वापस जाए।

भक्तों के कष्टों को हरतीं, दमन दानवों का तुम करतीं।

संतति की रक्षा नित करती , विपदा उस पर नहीं फटकती।

सीढ़ी चढ़ तेरे दर आते, माता के जयकार लगाते।

- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा , उत्तर प्रदेश