दीपावली - अशोक कुमार यादव

 

अज्ञान अंधकार को दूर करके,

ज्ञान की ज्योति मन में जलानी है।

जिंदगी हर पल एक महा उत्सव,

मिलजुल कर दिवाली मनानी है।।

जगमग-जगमग जल रहे नन्हें दीये,

धरती में मणि प्रकाश की आभा है।

पटाखे की ध्वनि से गूँज रहा संसार,

नीले नभ को छूने की आकांक्षा है।।

सत्य के सामने असत्य की हार होगी,

तू सत्य की राह में निरंतर कदम बढ़ा।

जीत तुम्हारे इंतजार में राह देख रही,

हताशा और निराशा को सुदूर भगा।।

रोशनी का त्यौहार, खुशियों की बहार,

होती रहे धन वर्षा, होती रहे तरक्की।

जीवन में सफलता चुमे आपके कदम,

दीपावली में मिलती रहे खूब समृद्धि।।

- अशोक कुमार यादव मुंगेली, छत्तीसगढ़