छंद  (कृष्ण जन्माष्ठमी) -  जसवीर सिंह हलधर

 

द्वापर की तोड़ फोड़ ,देख कंस की मरोड़ ,

देवकी की कोख में पधारे गिरधारी जी ।

भाद्र मांस काली रात , अष्ठमी तिथि की बात ,

जगती को कष्ट से उभारे  गिरधारी जी ।।

वासुदेव का ये लाल ,कंस का बनेगा काल ,

यमुना ने पैर छू  दुलारे गिरधारी जी ।

यशोदा ने पाया लाल , नंद जी का उच्च भाल ,

दीन और हीन के सहारे गिरधारी जी ।।

- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून