चंद्रयान तीन विश्व किर्तिमान गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में हुआ दर्ज

 

Vivratidarpan.com रायपुर - भारत सदैव आदिकाल से ज्ञान और विज्ञान को साथ में लेकर चला है जो एक दूसरे के पूरक हैं । इसी श्रृंखला में हमारे भारत के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में पहुंचाने वाले 'चंद्रयान' विश्व के प्रथम इतिहास रचने वाले बन चुके हैं । इसके लिए इसरो के वैज्ञानिकों को हार्दिक शुभकामनाएं। जब चंद्रयान चंद्रमा पर उतरा तब हमारे छत्तीसगढ़ के धरती से डॉक्टर आशा 'आजाद' एवं उर्मिला 'उर्मी' ने एक संकल्प उठाया कि हम समस्त साहित्यकारों की ओर से 'चंद्रयान तीन विश्व कृतिमान' के ऊपर में एक ऐतिहासिक कविता कलम के माध्यम से लिखेंगे जो दिनांक 23 जून 2024 को रायपुर के वृंदावन सभागार कक्ष में छत्तीसगढ़ स्वाभिमान संस्थान के तत्वाधान में सम्मान समारोह एवं पुस्तक का विमोचन किया गया । इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बृजमोहन अग्रवाल (संसदीय संस्कृति एवं शिक्षा मंत्री), अति विशिष्ट अतिथि राजेश्री  महंत रामसुंदर दास (पीठाधीश्वर दूधाधारी एवं शिवरीनारायण मंदिर),  विशिष्ट अतिथि डॉ सुशील त्रिवेदी (पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त छत्तीसगढ़ शासन), उदयभान सिंह चौहान, सोनम शर्मा (गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड छत्तीसगढ़ प्रभारी), शकुंतला तरार , स्नेह लता पाठक, रामेश्वर वर्मा, संपादक आशा 'आजाद' एवं उर्मिला 'उर्मी' आदि की मंच पर उपस्थिति रही

      वरिष्ठ पत्रकार विनय शर्मा दीप ने बताया कि श्रीवास समाज में राम रतन श्रीवास 'राधे राधे' कवि लेखक एवं साहित्यकार के रूप में योगदान दे रहे हैं, जो कि भारतीय रेलवे बिलासपुर में कार्यरत है, जिन्हें पूर्व में भी लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, ग्रेटेस्ट बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड,  मेन आफ द अर्थ, गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, इंडिया गिनिस बुक आफ रिकॉर्ड  आदि जैसे राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शतक से भी अधिक सम्मान से सम्मानित किए जा चुका है। इसी श्रृंखला में बसंत श्रीवास "वसंत' नरगोड़ा सीपत जो की वर्तमान में प्रशिक्षण अधिकारी नारायणपुर छत्तीसगढ़ में पदस्थ हैं। जिन्हें दो बार इंडिया गिनिस बुक आफ रिकॉर्ड मैं नाम शामिल हो चुका है एवं साहित् के प्रति आत्मिक लगाव के कारण विभिन्न राष्ट्रीय स्तर के साहित्यिक मंचों पर अपनी योगदान और छाप छोड़ रहे हैं। राम रतन श्रीवास 'राधे राधे' ने बताया कि चंद्रयान तीन विश्व किर्तिमान की परिकल्पना को साकार मूर्त करने के लिए देश एवं विदेश के 123 साहित्यकारों ने अपनी कलम के माध्यम से इस पुस्तक में अपनी अभिव्यक्ति को उकेरा है जो देश के समस्त वैज्ञानिकों को समर्पित है। इसके लिए संपादक मंडल को हार्दिक बधाई। बसंत श्रीवास्तव ने संवाददाता को बताया कि यह उपलब्धि संपूर्ण देश को समर्पित है और श्रीवास समाज के लिए यह गौरव की बात है की गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में संभवतः ऐसा पहली बार हुआ है कि हमारे समाज के दो सम्मानित व्यक्ति ने इसका प्रतिनिधित्व किया है इसका श्रेय समाज को जाता है। इस उपलब्धि पर श्रीवास समाज में हर्ष व्याप्त है और बधाईयों का सिलसिला जारी है। सभी साहित्यिक मंचों, सामाजिक बंधुओं,  मित्रागण एवं पारिवारिक जनों में खुशियों का माहौल देखा जा सकता है।