छंद - जसवीर सिंह हलधर

 

कौरवों ने भी बखानी ,पांडवों की जानीमानी ,

सभ्यता के मापदंड छापती है हिंदी ।

लोक लाज के विचार , सामाजिक व्यवहार ,

नीति या कुरीतियों को नापती है हिंदी ।।

ओज ,हास्य, या शृंगार , करुणा या रौद्र सार ,

भक्ति , योग साधना को भाँपती है हिंदी ।

कभी शांति की मिसाल , कभी क्रांति की मशाल ,

युग चेतना की आग तापती है हिंदी  ।।

- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून