बटोही - रश्मि मृदुलिका

 

मुरझाया हृदय खिल गया,,

सोया भाग्य बदल गया,,

दर्द को पूर्ण विराम मिल गया,

सूने नेत्रो में स्वप्न आ गए

कहाँ से मेरे बटोही तुम आ गए,

अपनेपन का आभूषण पहनाया,

मै क्या हूँ मुझको बतलाया,

जीवन नहीं व्यर्थ, अनमोल है|

तुम्हारा, मेरे लिए मोल है|

पीड़ा के क्षण सरल हो गए,

तुम बटोही पथ के साथी हो गए|

- रश्मि मृदुलिका, देहरादून , उत्तराखंड