शांति और प्रसन्नता का दूसरा नाम अरुण गोविल - डॉ.मुकेश कबीर

 

Vivrtidarpan.com- अरुण गोविल एक ऐसा नाम है जिसे सुनकर ही शांति और प्रसन्नता होने लगती है, लगभग वैसी ही जैसी राम नाम को सुनकर होती है। अरुण गोविल उन कलाकारों में से है जिन्हे ईश्वर ही एक मकसद देकर भेजता है शायद उन्हें भी राम ने राम के लिए ही भेजा। यही कारण रहा कि वो राम के बाद कुछ और कर नहीं सके बिलकुल ऐसे ही जैसे मोक्ष के बाद कुछ करने को रहता नहीं। "रामायण" का हमारी आत्मा तक में ऐसा असर हुआ कि हम रामायण के पात्रों को भी किसी और रोल में बर्दाश्त नहीं कर पाए और एक कलाकार के तौर पर उन सबका कैरियर शुरू होते ही खत्म हो गया खासकर अरुण गोविल और दीपिका की इमेज इतनी गहरी बनी कि सारे निर्माता निर्देशक इनके आगे नतमस्तक होकर कहने लगे कि मैं कौन सा रोल दू आपको क्योंकि आप में तो सिर्फ और सिर्फ राम ही दिखाई देते हैं। रामानंद सागर ने अद्भुत चयन किया और उतना ही जबरजस्त निर्देशन किया कि हर पात्र में रियल को ही उतार दिया। अरुण गोविल की बात करें तो कुदरत ने ही उनमें वो खूबियां दे दीं कि उन्हें कुछ खास नहीं करना पड़ा और सिर्फ कॉस्ट्यूम पहनते ही वो राम लगने लगते थे वाकी काम उनकी मीठी और हल्की गूंज भरी आवाज ने किया और सबसे बड़ा काम उनकी मुस्कान ने कर दिया। एक बार ताराचंद ने कहा कि अरुण तुम्हारी जो स्माइल है यह बहुत गजब की है तुम यदि इसका सही से यूज करोगे तो दिलों में उतर जाओगे और ठीक यही हुआ रामायण में। अरुण जब जब भी मुस्कुराए हैं कैमरा वहां देर तक टिकाया गया और वहीं हो गई राम जी की जय और जब डॉयलॉग्स की बारी आई तो ऐसी अद्भुत आवाज कुदरत ने उन्हें दी जो राम को पूरी तरह सूट करती है, अक्सर ऐसी आवाज अच्छे गायकों की होती है जिसमे मिठास, दर्द और ओज तीनों का मिश्रण हो, यदि अभिनेता नहीं होते तो अरुण जी अच्छे गायक हो सकते लेकिन होइए वही जो राम रची राखा। (विभूति फीचर्स)