अंकुर - मधु शुक्ला
Sep 28, 2023, 22:59 IST
प्रेम का अंकुर हृदय में जब पनपता है,
पथ तभी तो त्याग का इंसान गहता है।
जिंदगी की पाठशाला वह पढ़ा देती ,
जो नहीं इंसान पढ़ कर सीख सकता है।
मानवी आधार पर क्या है गलत उत्तम,
पालकों के आचरण से बाल पढ़ता है।
ज्ञान का अंकुर मनन का वृक्ष उपजाता,
बुद्धि का कौशल प्रगति विस्तार करता है।
हम नयापन देखते संसार में जो भी,
आदमी की सोच से 'मधु' वह उपजता है।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश