जीवन सफल बनाईं - अनिरुद्ध कुमार

 

नया साल आइल मुस्काई,

खुशहाली छितराई।

भेदभाव के बात भुलाके,

सबके गले लगाईं।

तनमन पुलकित गदगद जीवन,

चलके प्रेम लुटाईं।

छौ पाँच से कुछो ना  होला,

मंगल गीत सुनाई।

सुखचैन से रहीं आनंदित,

बंसी मधुर बजाईं।

नव आकाश मिलों वैभवके,

जनजन के हरषाईं।

कर्म पताका करमें लेके,

जग में नाम कमाईं।

जागी जागी सरपट भागी,

दुनिया में इतराईं।

अरुणिम आभा सगरो फइले,

का सोंची ने भाई,

मंगल कारी नया साल बा,

जीवन सफल बनाईं।

- अनिरुद्ध कुमार सिंह

धनबाद, झारखंड