अजस्त्र बहते मन मोती - सुनील गुप्ता
Jul 20, 2024, 22:47 IST
मिलें
' अजस्त्र बहते मन मोती ',
जब लगाऊँ डुबकी गहरे अंतर्मन में !
और समेट लाऊँ नायाब गौहर हीरे ...,
जो भरदें खुशियाँ तन मन जीवन में !!1!!
खिलें
तन-मन जीवन बगिया ,
जब स्वयं से करूँ मुलाकात यहाँ पे !
और चलूँ बाँटता प्रेम आनंद प्यार ....,
नित फूटें मन में नव कोंपलें हज़ार !!2!!
नीले
गगन की छाँव में ,
नित भरता चलूँ ऊँची परवाज़ !
और मिलें जो भी यहाँ मित्र सगे-संबंधी.,
उन संग करूँ खुशी से किल्लोल आवाज़ !!3!!
पीले
पीले फूल देख मुस्काऊं ,
तरंगित उमंगित तबियत हो जाए !
और चलूँ छेड़ता राग मल्हार हर्षाए .,
अब चला जीवन,आए बसंत खिलखिलाए!!4!!
हौले
हौले मन अजस्त्र सागर ,
नवीन रूप में आगे बढ़ता चले लुभाए !
और विचार श्रृंखलाएं ढलके गीत काव्य में.,
मन को स्वांत: सुखाय का अहसास कराए !!5!!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान