सावनी मुक्तक (बरसे है सावन) - डा किरण मिश्रा
Aug 4, 2022, 23:16 IST
बरसे है सावन , अति मन भावन, चौमासा शुभकारी ।
घन,घन घन , गरजे, बूँदन लरजे, धरती नव श्रृंगारी।
सजनी शरमाए, सजन बुलाएँ, आओ प्रिया अटारी,
बूँदन से खेलो, झूलन झूलो, बदरीं छाई कारी ।।
नव कोंपल चटकें, भँवरे लटकें, मटके कलिका क्यारी,
छलका है यौवन, सुरभित तन मन, आयी रुत मतवारी।
छलके है मधुरस, सखियाँ हँस हँस , गाती मंगलचारी।
ये मास है पावन,पाप नशावन, सब बिधि शुभदाकारी।।
- डा किरण मिश्रा स्वयंसिद्धा , नोएडा,उत्तर प्रदेश