हिंदी ग़ज़ल - जसवीर सिंह हलधर
Apr 24, 2022, 21:46 IST
धरा पर पेड़ पौधों का सजा जो आवरण है।
मिला नदियों से हमको स्वर्ग का वातावरण है ।।
न डालो मैल नदियों में न काटो पेड़ मानो ,
यही तो रोग को सीधा बुलावा विष वरण है ।।
अभी जागे नहीं तो रोग का आह्वान होगा ,
सभी वीमारियों का मूल ही पर्यावरण है ।
सभी ये जानते तो हैं नहीं क्यों मानते हैं ,
हुआ पथ भ्रष्ट जाने क्यों हमारा आचरण है ।
बहुत नक्षत्र हैं ब्रहम्माण्ड में पर हम कहाँ हैं ,
हमें धरती हमारी दे रही अब भी शरण है ।
अभी कलयुग की दस्तक है धरा पै शोर देखो ,
अनौखे रोग विष कण का तभी आया चरण है ।
हिमालय क्रोध में आया बढ़ा है ताप उसका ,
हमारी त्रुटियां "हलधर" हमारा आमरण है ।
-जसवीर सिंह हलधर , देहरादून