गजल - ऋतु गुलाटी
Dec 29, 2022, 23:28 IST
खत आपका मिला खुशी से नाचते रहे।
भूले छिपा के आज ये खत ढूँढते रहे।
ये जिंदगी गुलाब के सम मचलने लगी।
हम रख रहे हैं आस खुशी बाँटते रहे।
क्या सोचते रहे,ये सुना राज आपका।
हमको तो बेवजह अजी तुम लूटते रहे।
देखा है आज यार को रोते हुऐ कही।
जब सामने दिखे अजी वो घूरते रहे।
तकदीर मे लिखा अजी सोचा नही कभी
बस यूँ ही ज़िंदगी से सबक सीखते रहे। .
- ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली चंडीगढ़