ग़ज़ल - अनिरुद्ध कुमार

 

सलामत रहे सब दुआ कीजिए,

मुहब्बत जवाँ हो हवा कीजिए।

कलेजा जला के रुलाना नहीं,

सदा बात मीठी बयां कीजिए।

दिखे ना किनारा अँधेरा घना,

दिखा रौशनी कुछ नया कीजिए।

कदम डगमगाये सम्हर के चलें,

सहारा लिये बस चला कीजिए।

अभी दूर जाना भटकना नहीं,

रहे प्यार 'अनि' से हँसा कीजिए।

- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड