गीतिका सृजन - मधु शुक्ला
Oct 29, 2022, 22:58 IST
पढ़े वे बहुत पर न बदली नजर है,
सुता से उन्हें पूर्ण लगता न घर है।
समझते नहीं ब्याहता की उदासी,
हुआ ज्ञान का कुछ न उन पर असर है।
अहं का पिटारा दिया डिग्रियों ने,
उन्हें मित्र की अब न रहती फिकर है।
नियम ताक पर रख करें वे कमाई,
बनाया उन्हें पुस्तकों ने निडर है।
असर ज्ञान का यदि हृदय पर पड़े तो,
प्रकाशित रहे न्याय की प्रिय डगर है।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश .