राम सलाम हुए - अनिरुद्ध कुमार
Nov 11, 2022, 23:09 IST
जब से महफिल में आम हुए,
सबलोग कहे नाकाम हुए।
हर घर घर चर्चायें होती,
हम नाहक हीं बदनाम हुए।
जीना मरना आसान नहीं,
कैसे कैसे अंजाम हुए।
यारों की रौनक बढ़ जाती,
जब हाथों हाथों जाम हुए।
उनकी बातें मैं क्या करता,
जो लगता नमकहराम हुए।
यारों के दिल पे राज करूं,
हर महफिल में गुलफाम हुए।
ये अनि भी देखो खुशरहता,
मिलते ही राम सलाम हुए।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड