दफा न हुआ - अनिरुद्ध कुमार

 

मर्ज बढ़ते गया पता न हुआ

हाल बेहाल था दवा न हुआ

मुफलिसी खाकमें मिला देगी

लोग खामोश हैं बयां न हुआ

तड़पती जिंदगी सभी देखे

आदमी आज रहनुमा न हुआ

क्या करे झेलता परेशानी

दर्द में बोलना मना न हुआ

राजकी बात जानतें हैं सब

लोग बोले यहाँ नया न हुआ

प्यार को खेल समझने वाले

खेलते खेल पर खुदा न हुआ

आज बेजार आदमी है 'अनि'

मुफलिसी देखले दफा न हुआ

- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड