अनूभूतियाँ - रेखा मित्तल

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तलाशोगे मेरा दिल

तो मिलेंगे कुछ

नाज़ुक एहसास

खामोश अनुभूतियां

कुछ अधूरे शब्द

कुछ अनकही बातें

निहारोगे मेरी आंखों में

तो मिलेगा सूनापन

तुम्हारे बिंब को

तलाशती मेरी निगाहें

दृगों के कोने में तरलता

एक अधूरी कहानी

मिल भी जाओ अब

तो पहचान नहीं पाओगे

बदल गया है पता मेरा

छोड़ आई हूं स्वयं को कहीं

क्योंकि अब मुझ में

मैं खुद नहीं रहती!!

- रेखा मित्तल, सेक्टर-43, चंडीगढ़