बैंड “पंचनाद“ ने विरासत के लोगो को किया मंत्रमुग्ध

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विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2022 के पांचवे दिन की शुरुआत विरासत साधना’ कार्यक्रम के साथ हुआ। विरासत साधना कार्यक्रम के अंतर्गत देहरादून के 10 स्कूलों ने प्रतिभाग किया जिसमें कुल 18 बच्चों ने भारतीय शास्त्रीय संगीतगायन और नृत्य पर अपनी प्रस्तुति दी। विरासत अपने इस कार्यक्रम के माध्यम से युवाओं को उनकी जड़ों से जोड़ना और भारतीय शास्त्रीय संस्कृति को जीवित रखने का प्रयास कर रहा है। विरासत साधना कार्यक्रम मे छात्रों ने नौ नृत्य किए जिनमें भरतनाट्यमकथक और ओडिसी शामिल थेछह स्वर गायन-राग यमनराग भोपालीराग प्रयाग और तीन वाद्य - सितारहारमोनियमवायलिनतबला पर प्रस्तुतियां दी। विरासत साधना में प्रतिभाग करने वाले स्कूलों में कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरीमधुकर कला मंचश्री राम सेंटेनियलकेंद्रीय विद्यालय अपर कैंपकेंद्रीय विद्यालय ओएनजीसीसेंट थॉमस कॉलेजकेंद्रीय विद्यालय आईटीबीपीकेंद्रीय विद्यालय आईआईपीद एशियन स्कूलजसवंत मॉडर्न स्कूलद टोंसब्रिज स्कूल ने भाग लिया। कार्यकम्र में सुश्री कल्पना शर्मा ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए।

सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ एवं नवोदय कला विकास समिति द्वारा भूपिंदर प्रसाद भट्ट जी के टीम ने उत्तराखंड का सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया। भूपिंदर प्रसाद भट्ट जी का मानना है कि उत्तराखंड लोक नृत्य हमारी सांस्कृतिक विरासत का दर्पण है। यह लोक संगीत के साथ-साथ दुनिया भर में किसी भी संस्कृति की खुशीउत्सव और आनंद के संचार करने का सबसे पुराने रूपों में से एक है। नवोदय कला विकास समिति द्वारा कार्यक्रम में गढ़ वदंना,त्रीयुगी नारायण धरिया चैफलाहिलमा चादनी को बटनावही इंदू भट्ट ने मैं घास कटैलू जैसे गाने पर प्रस्तुतियां दी गई।

वही सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्य प्रस्तुतियों में देश की प्रथम महिला संतूर वादक श्रुति अधिकारी और उनके बैंड पंचनाद“ द्वारा दिया गया। श्रुति अधिकारी ने एक समूह पंच नाद’ बनाया है जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से केवल महिला शास्त्रीय संगीतकार शामिल हैं। पंच नाद बैंड में भोपाल की श्रुति अधिकारीदिल्ली की परोमिता मुखर्जीइंदौर की स्मिता वाजपेयीइंदौर की संगीता अग्निहोत्री और इंदौर की ही रचना शर्मा जैसे कलाकारों का अद्भुत मिश्रण है। कार्यक्रम में सितार पर स्मिता वाजपेईतबला पर संगीता अग्निहोत्री एवं पखवज पर महिमा उपाध्याय ने अपनी प्रस्तुति दी।

पंचनाद पंच तत्व को दर्शाता है और इसमें केवन पारंपरिक घ्वनिक यंत्र है वे राग कोटवानी से अपनी प्रस्तुति शुरू कि एवं इसमें उन्होंने आलाप शामिल किया और फिर तीन ताल में दो रचनाएॅ पर भी प्रस्तुती दी।

कार्यक्रम में संगीता चटर्जी द्वारा कथक नृत्य प्रस्तुत किया गया। संगीता चटर्जी लखनऊ कथक घराने के संबध रखती है और उन्होंने गुरु श्रीमती वासवती मिश्रा के कुशल मार्गदर्शन में नृत्य सीखा है एव राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। संगीता चटर्जी ने ताइवान महोत्सव मे भी अपनी प्रस्तुति दी है और भारत के राष्ट्रपति भवन में भी कार्यक्रम प्रस्तुत किया है। उनको अपने कार्य के लिए श्रृंगार मणि और जयदेव सम्मान से भी सम्मानित किया गया है। वर्तमान में, संगीता कल्पतरु कला के कलात्मक निदेशक के रूप में कार्य करती हैं, और द पिंक लोटस एकेडेमिया में कथक संकाय हैं

इस 15 दिवसीय महोत्सव में भारत के विभिन्न प्रांत से आए हुए संस्थाओं द्वारा स्टॉल भी लगाया गया है जहां पर आप भारत की विविधताओं का आनंद ले सकते हैं। मुख्य रूप से जो स्टाल लगाए गए हैं उनमें भारत के विभिन्न प्रकार के व्यंजनहथकरघा एवं हस्तशिल्प के स्टॉलअफगानी ड्राई फ्रूटपारंपरिक क्रोकरीभारतीय वुडन क्राफ्ट  एवं नागालैंड के बंबू क्राफ्ट के साथ अन्य स्टॉल भी हैं। 

रीच की स्थापना 1995 में देहरादून में हुई थीतबसे रीच देहरादून में विरासत महोत्सव का आयोजन करते आ रहा है। उदेश बस यही है कि भारत की कलासंस्कृति और विरासत के मूल्यों को बचा के रखा जाए और इन सांस्कृतिक मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। विरासत महोत्सव कई ग्रामीण कलाओं को पुनर्जीवित करने में सहायक रहा है जो दर्शकों के कमी के कारण विलुप्त होने के कगार पर था। विरासत हमारे गांव की परंपरासंगीतनृत्यशिल्पपेंटिंगमूर्तिकलारंगमंचकहानी सुनानापारंपरिक व्यंजनआदि को सहेजने एवं आधुनिक जमाने के चलन में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इन्हीं वजह से हमारी शास्त्रीय और समकालीन कलाओं को पुणः पहचाना जाने लगा है।