एंबीशन पब्लिक स्कूल शंभूगंज बांका में दो दिनों तक चले खेल

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vivratidarpan.com बांका (बिहार) - मेरे विद्यालय एंबीशन पब्लिक स्कूल शंभूगंज, बांका में वार्षिक परीक्षा चल रही थी । सारे विद्यार्थी टेंशन के माहौल में थे। जब भी परीक्षा आता तो सारे बच्चों का हर्षित मन ठप पड़ जाया करता था। यह परीक्षा इस सत्र का अंतिम परीक्षा था। इस परीक्षा के बाद सारे विद्यार्थी एवं शिक्षक दूसरे कक्षा में प्रवेश करते हैं। इसी बीच में मेरे विद्यालय के उप-प्रधानाचार्य अशोक सर ने एक बहुत बड़ी खुशखबरी सुनाई। अशोक सर ने कहा कि बच्चों अब अपने विद्यालय को बिहार सरकार की तरफ से मंजूरी मिल गई है कि अब आप लोग भी नवोदय, सैनिक या कस्तूरबा गांधी विद्यालय इत्यादि इस तरह के चीजों में अपना नामांकन करवा सकते हैं। वो भी अपने विद्यालय से आपको किसी भी सरकारी विद्यालय जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। फिर कुछ दिनों बाद मेरे विश्वास एवं निर्देशक कौशल सर के तरफ से सूचना मिली कि अब एंबीशन पब्लिक स्कूल भी आईएसओ 9001:2015 से प्रमाणित होगा। जो कि प्रमाणित भी हो गया। जिस दिन परीक्षा समाप्त हुआ। उस दिन हम लोगों को बताया गया कि 2 दिनों तक का खेल दिवस तय किया गया है। यह बात सुनकर सारे बच्चे खासकर लड़के बहुत ही खुश हुए। फिर अगले दिन हम लोगों के असेंबली प्रोग्राम में मेरे प्रिय, मित्र, शिक्षक उर्फ कवि यानी समीर सिंह राठौर ने खेल को तीन भागों में बांट दिया। जिस खेल का मैं अभी वर्णन करने जा रहा हूं। उन्होंने सर्वप्रथम कहा कि कक्षा 6 से लेकर 9 तक के लड़कों के लिए क्रिकेट है और लड़कियों के लिए कबड्डी और खो-खो है। क्रिकेट में रजनीश सर और प्रिंस सर गार्डिंग करेंगे और कबड्डी और खो-खो में ऋषिकेश सर गार्डिंग करेंगे। और कक्षा 1 से लेकर 5 तक के बच्चों का विभिन्न प्रकार का रेस होगा। बाकी बचे शेष बच्चे नर्सरी से लेकर यूकेजी तक के बच्चों को सोनिया मैडम कुछ नया खेल करवाएंगी। लेकिन समीर सिंह राठौर ने जैसा कहा था, वैसा नहीं हुआ। कुछ जूनियर वर्ग के बच्चे सीनियर वर्ग में चले गए थे और कुछ सीनियर वर्ग के बच्चे जूनियर वर्ग में चले गए थे। जिस कारण खेल उल्टा पड़ गया।‌ यह खेल दो से तीन दिनों तक चला । इनमें से बहुत सारे बच्चे नहीं भी खेले। जैसे कि मैं और मेरा एक साथी अंश कुमार न खेला। हम लोगों ने खेल को देखकर आनंद उठाया। हम लोगों ने अनुमति लेकर कंप्यूटर भी चलाया था। हम लोगों ने कंप्यूटर पर कुछ जादुई शॉर्टकट की और नेम भी अप्लाई करके देखा। जो कि एकदम सही निकला। इसी तरह होते-होते, अब समय आ चुका था बच्चों को पुरस्कृत करने और होने का। जिसमें की कक्षा नर्सरी से लेकर कक्षा पांचवी तक के बच्चों को असेंबली प्रोग्राम में ही पुरस्कृत कर दिया गया था। उनमें से भी कुछ बच्चे विद्यालय में उपस्थित नहीं थे। उन सभी बच्चों को उनके वर्ग शिक्षक के द्वारा सर्टिफिकेट के साथ साथ मेडल से भी पुरस्कृत किया गया। और तो और कुछ बच्चों को दो-दो मेडल और सर्टिफिकेट के साथ पुरस्कृत किया गया। इसी तरह कुछ समय बिता। जब मेरे विश्वास एवं निर्देशक कौशल सर विद्यालय पहुंचे, तो कुछ देर बाद सभी क्रिकेट के टीमों के कप्तानों को शिल्ड और ट्रॉफी से पुरस्कृत किया गया। इसी तरह लड़कियों के भी खेल में हुआ। यानी कबड्डी और खो-खो में। इसमें भी सभी को शील्ड, ट्रॉफी, मेडल और सर्टिफिकेट के साथ पुरस्कृत किया गया। जैसे ही यह प्रोग्राम समाप्त हुआ। तुरंत बाद स्कूल में छुट्टी हो गई। छुट्टी होने के बाद मैं घूमते फिरते घर चला आया। अब यह कहानी समाप्त हुई। अब मैं विदा लेता हूं आप सभी लोगों से मैं फिर कभी लिखूंगा इसी तरह का स्मरण, कहानी या कविता के साथ ।

- रोहित आनंद, मेहरपुर, बांका, बिहार