जमीं आशमा के तले जिंदगी - अनिरुद्ध कुमार
Jun 28, 2024, 23:32 IST
| कहाँ यार पूछे जले जिंदगी,
सदा डगमगाते चले जिंदगी।
तड़प बेकरारी बीमारी बनीं,
बहाना बनाके छले जिंदगी।
सुबह शाम बैठें निहारें फिजा,
धड़कता कलेजा मले जिंदगी।
अजूबा लगे देख कर के अदा,
गमों के सहारे पले जिंदगी।
हुआ क्या बताये जमाना जरा,
उदासी लिए बस ढ़ले जिंदगी।
सदा ढ़ूंढते हैं किनारा कहाँ,
लगे की कलेजा दले जिंदगी।
अकेले चला जा रहा देख'अनि',
जमीं आशमा के तले जिंदगी।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह
धनबाद, झारखंड