तुमने खो दिया - रश्मि मृदुलिका

वो सिर्फ देह की मिट्टी नहीं है,
उसके अंदर अनश्वर प्रेम है,
इस मिट्टी के लिए तुमने खो दिया है|
उसकी उन्मुक्त हँसी को,
जो तुम्हारी खुशियों में तुम संग,
खिलखिला कर हँस सकती थी,
तुम्हारे दर्द से उठती पीर पर,
अश्रु - बूंदों से ठंडक ला सकती थी,
उसकी चंचलता, गुनगुनाहट, अल्हड़ पन,
मौज में बहते रहने का हुनर,
बेफ्रिक जीवन से घुली अनगिनत बातें,
जो तुम्हारे अंतहीन भटकाव को
अपने हृदय में विराम दे सकती थी,
तुमने खो दिया ,,,
सिर्फ और सिर्फ मिट्टी के लिए,
कभी न खत्म होने वाले,
उसके अहसास, उसका साथ,
जो केवल समर्पण को जानती थी,
इस स्वार्थी दुनिया में तुम्हारे लिए
निस्वार्थ प्रेम लिए खडी़ थी,
इस मिट्टी के ढेर में खड़े हो कर,
देख सको कभी तो देख लेना,
आत्मा के उस प्रकाश पुंज को,
जो मिट्टी की धूल से बुझ चुकी है।
- रश्मि मृदुलिका, देहरादून, उत्तराखंड