तुम और मैं - सन्तोषी दीक्षित

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तुम अम्बर जैसे लगते हो,

मैं धरती जैसी लगती हूं।

तुम बनकर मेघ बरसते हो,

मैं अन्तस पर सहती हूं। ,

मैं तो छोटी सी नदिया हूं,

तुम तो बड़े समुन्दर हो ।

मैं तुम में ही मिल जाती हूं,

और धारा जैसी बहती हूं,।

- सन्तोषी दीक्षित देहरादून, उत्तराखंड