ईश्वर का सुमिरन करू - कालिका प्रसाद

 | 
pic

हे मेरे प्रभु मेरी  तुमसे   यही प्रार्थना,

दुर्गणों में कभी न फंसे मेरी  आत्मा।

दया ,धर्म,सत्य अहिंसा से जुड़ा रहे नाता,

काम क्रोध लोभ मोह से न रहे कभी नाता।

ऐसी  बुद्धि  हमें  देना मेरे  केदारनाथ,

दूसरे का दुख देख दुखी हो जाय आत्मा।

छल, कपट,ईर्ष्या मन में कभी भी न आये,

ज्ञान के प्रकाश से अज्ञान का हो खात्मा।

मन हर समय रहे ईश्वर की भक्ति में रहे,

प्रेम के प्रवाह   बहती रहे मेरी  आत्मा ।

- कालिका प्रसाद सेमवाल

मानस सदन अपर बाजार

रूद्रप्रयाग उत्तराखण्ड