शब्द बोलते हैं - सुनील गुप्ता
शब्द
बोलते हैं,
चलें मन भावों को कहते .....,
सदैव बोलें इन्हें यहाँ पे तोल-मोलके !! 1!!
शब्द
खेलते हैं,
चलें विचारों को साझा करते .....,
और उतरते चलें सीधे अंतस पटल पर ये !! 2!!
शब्द
कहते हैं,
चलें मनोभावनाएं व्यक्त करते .....,
और आपस में सुख-दुःख यहाँ बाँटते!! 3!!
शब्द
निकलते हैं,
हृदय की अतल गहराइयों से.....,
और चलें जोड़ते सदा एक दूजे से !! 4!!
शब्द
अक्षय हैं,
बनें रहें युगों-युगों तक ऐसे ही .....,
और न ही कभी ये यहाँ समाप्त होते !! 5!!
शब्द
उपहार हैं,
माँ सरस्वती भगवती वाग्देवी के. .....,
और चलें सदैव ज्ञान का प्रकाश भरते !! 6 !!
शब्द
अनमोल हैं,
करें न कभी इनका दुरूपयोग यहाँ पे ....,
सदैव भरते चलें ये सविता के उजियारे से !! 7!!
शब्द
सौंदर्य हैं,
सौष्ठव मुखारविंद मुख वाणी के .....,
और चलें मुख-सुख का सदा आनंद देते !! 8 !!
शब्द
शक्ति हैं,
चलें कराए अर्थ बोध हमें !
और लगाएं हमें प्रभु संकीर्तन भक्ति में !! 9 !!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान