शब्द मेरे - मीनू कौशिक         

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छोड़कर एक कहानी चले जाएँगे ।

देके  यादें  सुहानी  चले  जाएँगे ।

हैं सफर में सभी दिल लगाना नहीं,

है ये  बस्ती  बेगाने  चले  जाएँगे ।

इतनी जद्दोजहद जिंदगी के लिए ,

पर है कितनी बेमानी चले जाएँगे ।

अपना होना न होना तभी सार्थक,

प्रेम की दे  निशानी चले  जाएँगे ।

- मीनू कौशिक 'तेजस्विनी', दिल्ली