जीवन में बैलेंस किधर है - सुनील गुप्ता
Nov 29, 2024, 22:43 IST
| ( 1 )" जीवन ", जीवन
में, है किधर बैलेंस
है चहुँ ओर मारकाट प्रतिस्पर्धा...,
और आपाधापी कि, बढ़े मात्र बैंक बैलेंस !!
( 2 )" में ", मेंढ़
बनाए, चलें जीवन में
हम सभी अपने इर्द-गिर्द....,
और भविष्य, सुरक्षित बनाना चाहें !!
( 3 )" बैलेंस ", बैलेंस
बनाना, नहीं है दूभर
पर, धैर्य संतोष की पूँजी....,
नेक नियति की कमी, कभी बनने ना दे !!
( 4 )" किधर ", किधर
भी, देखें जीवन में
अब दसों दिशाएं दिखे हमें....,
दिनों-दिन बिगढ़ता जा रहा, बैलेंस प्रकृति में !!
( 5 )" है ", है
पिण्ड जैसा, वैसा ब्रह्माण्ड
बनी मन प्रकृति, हमारी वैसे ही....,
और बैलेंस नित, टूट हो रहा खंड-खंड !!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान